FD करवा रहे हैं तो फटाफट कर डालें ये काम, वरना सरकार चुपके से काट लेगी Tax और आप जान भी नहीं पाएंगे
जब फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज के जरिए होने वाली कमाई तय सीमा से ज्यादा होती है, तो उसमें से टीडीएस काट लिया जाता है. इससे बचने के लिए एफडी करवाते समय ही आपको एक फॉर्म भरने की सलाह दी जाती है.
अगर आप उन निवेशकों में से हैं जो एफडी को अपनी प्रॉयोरिटी में शामिल करते हैं, तो आपको एफडी करवाने से पहले एक बात जरूर समझ लेनी चाहिए. दरअसल 5 साल से कम टेन्योर वाली एफडी से होने वाली कमाई टैक्सेबल मानी जाती है. जब फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज के जरिए होने वाली कमाई तय सीमा से ज्यादा होती है, तो उसमें से टीडीएस काट लिया जाता है.
इसलिए इससे बचने के लिए एफडी करवाते समय ही आपको एक फॉर्म भरने की सलाह दी जाती है. यहां समझ लीजिए इन फॉर्म के बारे में, ताकि अगर आप एफडी करवाने का मन बना रहे हैं, तो शुरुआत में ही ये फॉर्म भरकर टीडीएस कटने से रोक सकें. समझिए किन लोगों को होती है इन फॉर्म्स को भरने की जरूरत और कब काटा जाता है टीडीएस?
कब काटा जाता है TDS?
नियम के मुताबिक अगर एफडी पर ब्याज के जरिए होने वाली कमाई सालाना 40,000 रुपए से ज्यादा है तो टीडीएस कटता है. सीनियर सिटीजंस के लिए ये लिमिट 50,000 रुपए है. ये टीडीएस व्यक्ति की कुल आय में जोड़ा जाता है और इसके बाद उस पर स्लैब के अनुसार इनकम टैक्स लगाया जाता है. लेकिन अगर किसी व्यक्ति की ये इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है तो उन्हें फॉर्म 15G और 15H भर कर बैंक में जमा कर टीडीएस कटौती न करने के लिए रिक्वेस्ट करना होता है.
कौन भरता है फॉर्म 15G
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Form 15G और Form 15H भरकर व्यक्ति बैंक को यह बताता है कि उसकी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है. फॉर्म 15G को हिन्दू अविभाजित परिवार, 60 साल से कम आयु का कोई भी व्यक्ति भर सकता है. फॉर्म 15G इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंडर सेक्शन 197A के अंडर सब सेक्शन 1और 1(A) के भीतर आने वाला डीक्लेरेशन फॉर्म है. इसके जरिए बैंक को आपकी सालाना इनकम के बारे में पता चलता है. अगर आपकी आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है, तो बैंक एफडी पर TDS नहीं काटता है. अगर आप टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं, तो इस फॉर्म को भर सकते हैं.
किनके काम आता है फॉर्म 15H
फॉर्म 15H 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए होता है. इसे जमा करके सीनियर सिटीजंस एफडी के ब्याज पर कटने वाले टीडीएस को रोक सकते हैं. लेकिन ये फॉर्म सिर्फ उन्हीं के द्वारा जमा किया जाता है जिनकी टैक्सेबल इनकम शून्य है. फॉर्म को उस बैंक ब्रांच में जमा करना होता है जहां से पैसा जमा किया जा रहा है. अगर जमा के अलावा किसी अन्य सोर्स से इंटरेस्ट इनकम जैसे कि लोन, एडवांस, डिबेंचर, BONDS आदि पर इंटरेस्ट इनकम 5,000 रुपए से ज्यादा है तो फॉर्म 15H जमा करना होगा.
पहले ब्याज का भुगतान होने से पहले 15H फॉर्म सबमिट किया जाना चाहिए. हालांकि ये अनिवार्य नहीं है. लेकिन अगर आप ऐसा करते हैं तो शुरुआत से ही बैंक से टीडीएस कटौती को रोका जा सकता है. कोई कस्टमर अगर इन फॉर्म्स को भरने से चूक जाते हैं तो इनकम टैक्स रिटर्न में आकलन वर्ष में टीडीएस क्लेम कर सकते हैं. ऐसे में आयकर विभाग से रिफंड मिल जाएगा.
12:39 PM IST